तस्वीर इक धुंदलीसी हो गई,
गिरती रही शबनम रातभर आखों मे
सुबह होते -होते नदीसी बह गई,
चलता रहा राही मंजिल की ओर लहेरो पे
मजधार आते-आते लहेरे बन्धसी हो गई,
डूबनेके सिवा ओर कोई चारा न रहा
मरनेके बाद लाश पानी पे तैर गई।
कोहरासा छा गया जिंदगी मे
तस्वीर इक धुंदलीसी हो गई.......
" r a n g a t "