रातभर डूबोता रहा,
चांदनीसे धोता रहा,
वो तेरी यादोंकी मोहरे
रातभर संजोता रहा,
गलीके नुक्कड़पे वो इन्ताजरकी मोहर
वो तेरा मेरे घरके पाससे गुजरनेकी मोहर,
और नजाने ऐसी कितनी मोहरे है यादोमें संभाली मैंने,
कुछ साफ़ हो चुकी है,
कुछ अभी भी बाकी है,
फिर सोचता हु ,खर्चभी कहा करूँगा इसको,
कोइ खरीदार भी नहीं है, और
ना ही इसकी कोई कीमत है बाजारमे,
सोचता हु तुम्हारे पास ही भेज दू इसे,
तुम्हारी पहेचान हो अगर,
शायद तुम्हे कुछ दाम मिलजाए,
शायद तुमसे बीकजाए,
मुफलिसी है अभी मेरी
तो मेरी भी कुछ आमदनी हो जाए,
क्योकि........,
मैं तो इसे बेचने से रहा,
बस,
रातभर डूबोता रहा,
चांदनीसे धोता रहा,
वो तेरी यादोंकी मोहरे
रातभर संजोता रहा.
"rangat"
शब्द परिचय:
मुफलिसी : गरीबी
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