तेरी बज्म में आते ही हर फिराक बदल जाती है,
दीखता है खुदा मुजे, जन्नत नजर आती है,
काबा की तलाश में क्यो भटकू मज़िल दर मज़िल,
सारी खुदाइ जब मुजमे सिमट आती है,
तारो को बटोर के रखा है कही कोनो मे,
चाँद की तलाश में, सारी रियाशत नजर आती है....
तेरी बज्म में आते ही...
' r a n g a t '
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